Friday, May 14, 2010

एक अंत नई शुरुवात के लिए

आज का दिन वैसे तो सामान्य ही है लेकिन एक अलग बात आज यह है कि आज से मेरे विश्वविद्यालय मे ग्रीष्मकालीन अवकाश की घोषणा हो गई है अब नया शैक्षणिक सत्र 15 जुलाई से आरम्भ होगा तब तक के लिए मैने आज अपने प्राध्यापक ,मनोवैज्ञानिक और भी बहुत से लिबास उतास दिए है और आज दिगम्बर चेतना के साथ आपसे रु-ब-रु हूं।

रुटीन ज़िन्दगी मे एक बदलाव आ रहा है कल से अब न कोई लेक्चर होगा और न कोई बोझिल अकादमिक काम अब कुछ होगा तो केवल खानाबदोशी जिसका उत्सव मेरा घुमक्कड मन मना रहा हैं।

यारबाज़ मन अपना हमेशा से ही रहा है सो इस नयी यात्रा के शुरुवात भी अपने कुछ पुराने दोस्तो से मिलने के क्रम से हो रही है मै जा रहा हूं दिल्ली जिसे मेरे एक मित्र विक्टर्स की सिटी भी कहते है उसी विक्टर्स की सिटी मे मै भगौडा भी जा रहा हूं शायद अपने आप से भाग कर अतीत के उन सुनहरे दरख्तों की छांव मे सुस्ताने के लिए जो वक्त की गर्द से बुझे हुए से लेकिन शान से खडे नज़र आते है।

दिल्ली मे अपने दो पुराने यार संयोग से साथ ही रह रहे है आजकल, और इस त्रिमूर्ति की तीसरी मूर्ति मै 17 को पहूंच रहा हूं। फिल्मो की भाषा मे कहूं तो थ्री इडियटस फिर से मिलेंगे अपनी ढपली अपना राग लेकर।

कभी साथ मिलकर कुछ बडा करना था अभी क्या करना है ये पता नही....।

बहुत दिनो बाद ये एतिहासिक मिलन हो रहा है सो इसके लिए मै खासा उत्साहित भी हूं। मुलाकात के बाद शायद मै उदास हो जाऊं या मलाल करुं वक्त के हसीन मज़ाक का लेकिन अभी बस इतना ही शेष जो भी होगा उसके संपादित अंश मै जरुर डालूंगा क्योंकि आप सभी जानते है पुराने दोस्त जब मिलते है तब क्या-क्या होता है....!

शेष फिर...

डा.अजीत

3 comments:

  1. गर्मी की छुट्टी में आप अपने दोस्तों के साथ खूब आनंद कीजिये दिल्ली में! आपका यात्रा शुभ हो!

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  2. aayiye dilli..victors ki city mein aapka swagat hai..isbar kuchh vishesh karna hai is lihaz se na milkar kuchh is andaz mein mila jaye ki bat bat ban jaye.

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  3. ग्रीष्मावकाश मिला है अब छुट्टियों का भरपूर आनद लिजीये.
    थ्री फ्रेंड्स के मिलन समारोह की सफलता के लिए भी बहुत बहुत शुभकामनाएँ.

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