Thursday, August 19, 2010

अज्ञातवास बनाम एकांतवास

समन्दरो से वो रखता था दोस्ती,लेकिन

मरा तो बिरसे मे सदियों की प्यास छोड गया(खुसरो मतीन)

बस इसी शेर से आपसे जुडता हूं शायर का ख्याल उम्दा है बेतरतीब सी जिन्दगी मे एक प्यास भी न हो तो फिर मज़ा क्या? किसी चीज के होने से और आदत मे शुमार होने से जिन्दगी कितनी संगदिल हो सकती है इसका अन्दाजा मुझे पहले कतई न था। मेरे एक दार्शनिक मित्र कई महीनों से मौन मे है मुझे लगता था कि कैसे बिना बतियाए ये रह पाते हैं लेकिन अब जब मै मौन मे तो नही लेकिन अपने सम्बन्धो के अज्ञातवास मे जी रहा हूं तब पता लगता है हम कितने उलझे रहते है खुशी-गम,शिकवे-शिकायत उपलब्धि,निराशा सब कुछ तो बांट देना चाहते है अपने पास तो कुछ रखना ही नही चाहते हैं।

दिक्कत मुझे भी हुई है आदतन पुराने मोबाईल नम्बर के सिम को एकाध बार डालकर देखा है कि आखिर वो मेरे कितने हमनवा दोस्त है जो अचानक रंगमंच से मेरी इस आकस्मिक विदाई से बैचेन है लेकिन ये भ्रम भी आखिर टूट ही गया कि विविध भारती की तरह आपकी बतकही लोगो की जिज्ञासा की वजह थी न कि आपका मूल वजूद।

बहरहाल जिस तरह से बुखार उतरता है और शरीर धीरे-धीरे अपने कलेवर और तेवर मे लौट आता है ठीक इसी प्रकार अब मुझे अपने अज्ञातवास के एकांत की अनुभूति होने लगी है दिन मे एकाध बार यह भी ख्याल आता है कि शायद मै वापस लौट जाउंगा लेकिन अगले पल लगता किसके लिए और क्यों? इसका जवाब मेरे पास नही है। फोन भी अब आराम फरमा रहा है और बेख्याली मे यूं ही पडा रहता है दिन मे एकाध बार बजता जब कोई मुझे नही मेरे होने की वजह के लिए मुझे तलाशता है।

दिन थोडे चिड चिडे से हो गये है और खासकर शाम को मन डूब जाता है अतीत मे...अतीत के उन लम्हों मे जिसने मेरे इस वजूद की बुनियाद रखी थी। इसलिए शाम को गंगा किनारे टहलने निकल जाता हूं और ऊर्जावान बुजुर्गो को गंगा तट पर अनुलोम-विलोम करते देख कर बरबस की मुस्कराहट आ जाती है इनमे से कुछ हास्य योग भी करते है...हा-हा-हा ।

कुछ अपने रिश्तेदारो,बच्चों को गरियाते अपनी जवानी के किस्सो मे खो जाते है अपने जीवन का चरम भोगने के बाद ऐसी नियति देखकर मुझे भगवान बुद्द प्रासंगिक लगने लगते है और अपनी मनोदशा समसामयिक।

एक शेर के साथ ही आज इज़ाजत चाहूंगा-

सब्र कहता है कि रफ्ता-रफ्ता मिट जायेगा दाग

दिल ये कहता कि बुझने की ये चिंगारी नहीं(मिर्जा यागाना लखनवी)

डा.अजीत

2 comments:

  1. रक्षाबंधन पर हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें!
    बहुत बढ़िया लिखा है अपने! इस शानदार पोस्ट के लिए बधाई!

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  2. adbhut lekhan shailee hai aaplee .

    aur ye anulom vilom..........har koi umr ko tham rakhane kee koshish me hai .credit goes to Ramdeo baba . ;)

    aabhar

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